चाइना ने फिर से वुहान मार्केट चालू कर दिया ,चमगादड़ के माँस की बिक्री शुरू हो गई है।
अभी थोड़ी देर पहले ही मैं पढ़ रहा था कि चीन में फिर से चमगादड़ के माँस की बिक्री शुरू हो गई है।
मुझे नहीं मालूम की इस बात में कितनी सच्चाई है?
पर पढ़कर यही लगता है मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति नहीं, बल्कि सबसे स्वार्थी कृति है।
मनुष्य ने अपने स्वाद के लिए पशु पक्षी खाए और अपने स्वार्थ के लिए मनुष्य को भी क्षति पहुँचाने से बाज नहीं आया।
मनुष्य सिर्फ और सिर्फ अपना जीवन चाहता है, यदि बाबुषा कोहली के शब्दों में कहूँ तो इस त्रासदी की इतनी बड़ी कीमत चुकाने के बाद भी यदि मनुष्य अपने कुकृत्यों से सबक ना लें, तो फिर उनका मरना ही बेहतर है।
कल ही एक मित्र से इस विषय पर बात हो रही थी, तब उन्होंने कहा-
"आज भी यदि मनुष्य को कोई वैज्ञानिक मानव वध करके उससे बनने वाली संजीवनी बूटी से, इस कोरोना से बचने का आश्वासन दे तो वह निश्चित ही समाज के सबसे निर्धन मनुष्य को मारकर भी उससे यह संजीवनी बूटी बना ले।"
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